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सुल्तानपुर के जल जीवन मिशन में 5.5 करोड़ का गोलमाल, असिस्टेंट जनरल मैनेजर ने किया खुलासा।

रिपोर्टर आशुतोष मिश्र सुल्तानपुर, 9415049256

 

एंकर : असिस्टेंट जनरल मैनेजर जल जीवन मिशन ने साढे 5 करोड़ के गोलमाल का मामला उठाया है। आधा दर्जन से अधिक ठेकेदारों द्वारा सामग्री जप्त कर ली गई है। ना तो हिसाब दिया गया और ना ही सामग्री वापस की जा रही है। जनरल मैनेजर ने मुकदमा दर्ज करने का अल्टीमेटम दिया है। ठेकेदारों द्वारा कंपनी जैसी अपनी फर्म खड़ा करने के खुलासे पर कार्रवाई नोटिस जारी की है।

 

वीओ : केंद्र सरकार की जल जीवन मिशन योजना अति महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के रूप में सामने आया था। इसके जरिए शहर हो या ग्रामीण अंचल, हर घर को नल से जोड़ने की योजना शुरू की गई थी। ग्रामीण क्षेत्र में टंकी बनाकर हर घर को वाटर सप्लाई दिए जाने की व्यवस्था संचालित की गई थी। गृह मंत्रालय से जारी इस प्लानिंग के लिए सुल्तानपुर में असिस्टेंट जनरल मैनेजर आशीष तिवारी को निगरानी और कार्य करने का जिम्मा दिया गया था। 5.5 करोड रुपए की सामग्री निर्माण कार्य और सप्लाई की लेने के बाद ठेकेदारों ने काला कारनामा किया। ना तो इन सामग्री और पैसे का हिसाब दिया और ना ही इन्हें अधिकृत इकाई को वापस किया है। अब जनरल मैनेजर ने मुकदमा दर्ज करने की तैयारी शुरू कर दी है। सुल्तानपुर जिलाधिकारी को पत्र भेजकर पूरे गोरखधंधे से अवगत कराया गया है। जनरल मैनेजर का कहना है कि लगातार भुगतान जारी किया गया है। अनर्गल आरोप लगाकर 5 करोड़ 50 लाख की जारी धनराशि के घोटाले को दबाने का प्रयास कर रहे हैं। कार्य करने वाले ठेकेदार।

बाइट : हमारी कंपनी ने पेटी ठेकेदार हायर किया था। कार्य में बड़े पैमाने पर अनियमित पाई गई है। जिस कंपनी में काम ये लोग करते थे। उसी के समक्ष एक दूसरी कंपनी खड़ी कर ली है। जब कंपनी से जालसाजी और धोखाधड़ी करने की जानकारी हुई तो कंपनी स्तर से एक्शन लिया गया। केंद्र सरकार की योजना के मानक काम नहीं किया गया है। प्रधान और ग्रामीणों के फीडबैक के आधार पर प्रगति संतोषजनक नहीं पाई गई है। टोंटियां निकली पड़ी है। पाइप में जमीन से निकली हुई है। वेंडर की तरफ से पाइप डाल दी गई है, लेकिन उन्हें जोड़ा नहीं गया है। हम मटेरियल कार्य करने वाले इन लोगों को देते हैं, वेंडर को काम करने के लिए। 5.5 करोड़ का मटेरियल उनके पास रखा है। जिसे ना तो वापस किया गया है और ना ही उसका हिसाब दिया गया है। भुगतान नहीं देने का इल्ज़ाम ग़लत है। सितंबर माह तक भुगतान दिया गया है। अगस्त माह में भी दिया गया है। पेमेंट कंपनी द्वारा रुक नहीं गया है, यह आरोप गलत है। जो काम करने का मटेरियल लेकर यह लोग जबरदस्ती रख लिए हैं। उसके लिए हम जिलाधिकारी के पास जाएंगे और कार्रवाई की मांग रखेंगे। 50 से 60 वेंडर कम कर रहे हैं जबकि समस्या उठाने वाले महज 4 से 5 वेंडर हैं। 20 करोड़ में से 10 करोड़ का भुगतान मिलने वाला है। जब हमें देरी से भुगतान मिलता है तो कभी-कभी भुगतान में देरी हो जाती है।
आशीष तिवारी, असिस्टेंट जनरल मैनेजर

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