रिपोर्टर आशुतोष मिश्र सुल्तानपुर 9415049256
एंकर : पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं निवर्तमान सुल्तानपुर सांसद मेनका गांधी द्वारा दायर सुप्रीम कोर्ट में याचिका मामले में आज सुनवाई होगी। मेनका गांधी ने सुल्तानपुर सांसद एवं सपा नेता राम भुवाल पर क्रिमिनल हिस्ट्री छुपा कर चुनाव लड़ने का आरोप लगाया है। इससे पूर्व हाई कोर्ट में इसी मामले को लेकर मेनका गांधी की याचिका खारिज हो चुकी है।
वीओ : सुल्तानपुर से 2024 में पहली बार समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में खाता खोला। सपा से रामभुआल निषाद ने भाजपा प्रत्याशी व पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को 43,174 मतों से हराया था। हार से रूठी मेनका गांधी राम भुआल निषाद के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं। जहां आज सुनवाई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने अपनी याचिका में कहा कि अपने चुनावी शपथ पत्र में पूर्व मंत्री व सपा सांसद राम भुआल निषाद के खिलाफ 12 आपराधिक मामले लंबित हैं और उन्होंने अपने चुनावी हलफनामे में सिर्फ 8 का ही जिक्र किया है। उन्होंने आपराधिक मामले को छिपाने के काम को भ्रष्ट आचरण करार देते हुए उनका निर्वाचन खारिज करने की मांग की थी। इसको लेकर 27 जुलाई को हाईकोर्ट इलाहबाद की लखनऊ खंडपीठ में भाजपा नेता मेनका गांधी ने रिट की थी। इसमें सुनवाई को लेकर 5 अगस्त की तिथि नियत हुई थी।
वीओ : कोर्ट ने 14 अगस्त को मेनका गांधी की इस याचिका को खारिज करके उन्हें बड़ा झटका दे दिया था। इस फैसले से सपा खेमे ने काफी राहत की सांस ली थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मेनका गांधी की याचिका समय सीमा से बाधित थी। कोर्ट ने याचिका को समय सीमा के उल्लंघन और जनप्रतिनिधित्व ऐक्ट की धारा 81 और 86 के खिलाफ माना था। यह जनप्रतिनिधित्व एक्ट 1951 के तहत दी गई समय सीमा 45 दिन से 7 दिन बाद दायर की गई थी। इस कारण इस याचिका को खारिज किया जाता है।
वीओ : कोर्ट ने मामले में 5 अगस्त को सुनवाई पूरी कर ली थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था। केस की सुनवाई जस्टिस राजन रॉयक की एकल पीठ ने की और मेनका गांधी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने दलीलें पेश की थीं। वही हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने पर मेनका गांधी ने 18 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में पूर्व सांसद मेनका गांधी की अधिवक्ता सुप्रिया जुनेजा ने याचिका दाखिल की थी। याचिका की सुनवाई 20 सितंबर को Justice Suryakant व Justice Ujjal Bhuyan की बेंच ने करते हुए 30 सितंबर को सुनवाई की तिथि नीयत की थी। मेनका गांधी ने अलग से एक याचिका दाखिल कर जनप्रतिनिधित्व कानून के उस प्रावधान को भी चुनौती दी है, जिसमें इलेक्शन पिटीशन दाखिल करने की समयसीमा का भी उल्लेख किया गया है।