बाहुबली पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू के समाजवादी पार्टी ज्वाइन करते ही कोर्ट से उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। शनिवार को जेसीबी से दीवार ढहाने, मारपीट कर गाली देने के एक मामले में MP/MLA की स्पेशल कोर्ट ने डेढ़ साल की सजा व 7700 रूपये की सजा सुनाया है। विशेष न्यायाधीश एकता वर्मा ने पूर्व विधायक की अपील निरस्त करते हुए 4 जून तक कोर्ट में समर्पण करने का अवसर दिया है।
फरवरी 2021 में दर्ज हुआ था केस
कोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार यह अपील 6 जुलाई को विशेष मजिस्ट्रेट द्वारा सुनाई गई सजा के विरुद्ध दायर की गई थी। धनपतगंज के मायंग निवासी बनारसी लाल कसौंधन ने एफआईआर दर्ज कराया था। आरोप था कि 25 फरवरी 2021 को सुबह आठ पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू उनके भाई यशभद्र सिंह मोनू, सिंटू जेसीबी लेकर और घर में घुस गए। असलहे दिखाकर उन्हें व बेटे अनिल को मारापीटा। जब उनके बेटे व भतीजे डर के मारे भग गए तो इन लोगों ने उनके मकान की दीवार व गेट जेसीबी व हाथ से गिरा दिया था। विवेचना के दौरान मोनू की नामजदगी गलत पाई गई जबकि पूर्व विधायक, सिंटू व जेसीबी चालक अमेठी निवासी रुक्सार पर मुकदमा चला। अभियोजन की ओर 9 गवाह परीक्षित हुए थे।
जुलाई 2023 में हुई थी सजा
जिनके आधार पर तीनों को तत्कालीन मजिस्ट्रेट योगेश यादव ने 6 जुलाई 2023 को सजा सुनाने के बाद जमानत पर रिहा कर दिया था। इस आदेश के विरुद्ध यह अपील दायर की गई थी। पूर्व विधायक के अधिवक्ता रूद्र प्रताप सिंह मदन ने बताया कि आदेश का परिशीलन कर रिवीजन उच्च न्यायालय में दायर की जाएगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता बोले-राहत के यह हैं तथ्य
उधर वरिष्ठ अधिवक्ता जीतेंद्र श्रीवास्तव बताते हैं कि कोर्ट के इस फैसले से मतगणना के दिन पूर्व विधायक की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उन्होंने बताया कि बिना न्यायालय में सरेंडर किए पूर्व विधायक का रिवीजन उच्च न्यायालय में सुना नहीं जाएगा। संभावना यह भी है कि उसी दिन वो न्यायालय में सरेंडर कर उच्च न्यायालय में अपना रिवीजन व जमानत फाइल करें। उन्हें बेल मिल जाएगी और वे जेल जाने से बच जाएंगे। साथ ही साथ उन्होंने यह भी बताया कि एक संभावना यह भी है कि वो अदालत से आगे मौका मांगे। अगर अदालत मौका दे देगी तो उन्हें राहत मिल सकती है।
21 मई को सपा में की है घर वापसी
आपको बता दें कि पूर्व विधायक ने डेढ़ दशक बाद 21 मई को सपा में घर वापसी की है। इसके बाद से ही कयास लगाया जा रहा था कि उन पर कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है। दरअस्ल पूर्व विधायक 2019 में बसपा के टिकट पर मेनका गांधी के विरुद्ध चुनाव लड़ चुके हैं उन्हें 14 हजार से हार का सामना करना पड़ा था। सपा में ज्वाइनिंग के बाद उन्होंने आरोप लगाया था कि पांच साल तक उन्हें और उनके लोगों को परेशान किया गया था।