मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह में अपात्र महिलाओ को लाभ देने के मामले में समाज कल्याण अधिकारी अमित सिंह व उनके स्टॉप की संलिप्तता जांच रिपोर्ट में सामने आई है। प्रशासन से शासन तक को रिपोर्ट गए पूरे दस दिन हो गए लेकिन भ्रष्ट अधिकारी व कर्मचारियों पर न तो अबतक विभागीय कार्रवाई हुई न ही विधिक कार्रवाई। बताया जा रहा है कि माननीय के दबाव में अधिकारी कार्रवाई से बच रहे हैं।
बल्दीराय के महुली गांव की तेरह अपात्र महिलाओ को मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह का लाभ समाज कल्याण अधिकारी अमित सिंह द्वारा दिया गया। मीडिया में मामला उछलने के बाद डीएम के आदेश पर सेक्रेट्री राहुल यादव, एडीओ समाज कल्याण अभिषेक गिरि व बल्दीराय ब्लॉक के वरिष्ठ लिपिक संदीप मिश्रा को सस्पेंड किया गया। इन सबके विरुद्ध बल्दीराय थाने पर एफआईआर हुई, जिसमे एक नाम महुली की महिला दलाल कंचन का भी शामिल था।
यह पत्र सीडीओ को गया भेजा
जांच हुई तो सेक्रेट्री निर्दोष पाए गए तो उन्हें बहाल किया गया। अपात्र महिलाओ से सामान की वापसी व धनराशि रिकवरी के आदेश हुए। हालांकि वो भी अभी हो नहीं सकी। इस बीच प्रकरण के तीन जांच अधिकारी जिला प्रशिक्षण अधिकारी डॉ संतोष कुमार, जिला पंचायत राज अधिकारी अभिषेक शुक्ला व जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी मुदित श्रीवास्तव ने रिपोर्ट तैयार कर सीडीओ अंकुर कौशिक को दी है। 14 अगस्त को सीडीओ को भेजे गए पत्र सं. 90/सा.वि.जा./2024-25 में तीनों अधिकारियों ने बताया है कि एक ग्राम पंचायत में इतने ज़्यादा आवेदन प्राप्त होने पर जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय ने विशेष सावधानी नहीं बरती। सामान्य आवेदन की तरह प्रकरण को लिया। जिससे इस कार्यालय की लापरवाही नजर आती है।
एडीओ समाज कल्याण की साइन से आवेदन पत्र की हुई जांच
जांच रिपोर्ट में बल्दीराय के तत्कालीन खंड विकास अधिकारी की भी लापरवाही सामने आई है। साथ ही सहायक विकास अधिकारी समाज कल्याण की साइन से आवेदन पत्र की जांच कर रिपोर्ट लगाई गई थी। इस प्रकार पूरे प्रकरण में समाज कल्याण अधिकारी, उनके कर्मचारी व ब्लॉक स्तर पर उनसे अटैच लोग सबसे अधिक दोषी हैं लेकिन सेटिंग गेटिंग कर उन्हें बचाने का प्रयास जारी है।